लोगों की राय

बी ए - एम ए >> बीए सेमेस्टर-3 गृहविज्ञान

बीए सेमेस्टर-3 गृहविज्ञान

सरल प्रश्नोत्तर समूह

प्रकाशक : सरल प्रश्नोत्तर सीरीज प्रकाशित वर्ष : 2022
पृष्ठ :180
मुखपृष्ठ : पेपरबैक
पुस्तक क्रमांक : 2644
आईएसबीएन :0

Like this Hindi book 0

5 पाठक हैं

बीए सेमेस्टर-3 गृहविज्ञान

प्रश्न- प्रारंभिक वयस्कतावस्था में सामाजिक विकास की विवेचना कीजिए।

उत्तर -

इस अवस्था में अनेक शारीरिक और मानसिक परिवर्तन होते हैं। इससे उनके सामाजिक विकास में भी परिवर्तन होना अनिवार्य है। इस आयु में सामाजिक विकास पर अनेक कारणों का प्रभाव पड़ता है, जैसे- रुचियाँ, आवश्यकतायें, असुरक्षा की भावना, मूल्य, अभिवृत्तियाँ, उत्तरदायित्व, दृष्टिकोण इत्यादि।

लिंग संबंधी चेतना तीव्र हो जाती है— किशोर बालिकाओं का विकास बालकों से दो वर्ष पहले हो जाने के कारण सामान्य रूप में वे अपनी आयु से बड़े लड़कों के साथ मिलना जुलना पसंद करती हैं, परंतु दूसरी ओर लड़के-लड़कियों में सामाजिक अंतर भी बढ़ता जाता है। लड़कियों में रहने वाले लड़के और लड़कों में रहने वाली लड़कियाँ अपने साथियों द्वारा निम्न दृष्टि से देखे जाते हैं। लड़के या तो लड़कियों को छेड़ते हैं या उनकी उपेक्षा करते हैं। दोनों ही दशाओं में उनका ध्यान लड़कियों की ओर रहता अवश्य है। इसी तरह जो लड़कियाँ भी लड़कों की नितांत उपेक्षा करती-सी दिखाई देती हैं वे भी उनकी आलोचनाओं, गतिविधियों आदि पर ध्यान देती हैं और किसी न किसी रूप में उनका ध्यान लड़कों की ओर अवश्य होता है।

प्रारंभ में तीव्र भिन्न लिंगीय प्रवृत्ति बहुत कम दिखाई पड़ती है - सामान्य रूप से इस आयु में लड़के-लड़कियाँ केवल देखना चाहते हैं। तरह-तरह की वेश-भूषा, तौर-तरीके, केश विन्यास, व्यवहार आदि से लड़के लड़कियों के सामने और लड़कियाँ लड़कों के प्रति अपनी उपस्थिति को अभिव्यक्त करना चाहते हैं। इस प्रकार भिन्न लिंगीय व्यक्तियों के संबंध इस आयु में निश्चित नहीं होते। इस असमंजस का एक मुख्य कारण यह है कि उन्हें एक-दूसरे में एक अजीब आकर्षण दिखाई देता है जो कि पहले कभी नहीं था। इससे एक-दूसरे का साथ चाहते हुए भी वे संकुचित और लज्जित दिखाई देते हैं। स्कूल में सामाजिक स्थितियों में शिक्षकों और अभिभावकों की सहायता से लड़के-लड़कियाँ परस्पर उचित व्यवहार के प्रतिमान विकसित कर सकते हैं। इस दिशा में अभिभावकों और शिक्षकों को बड़ी सावधानी से काम लेना चाहिए। भावी जीवन में पति-पत्नी के रूप में अच्छा सामन्जस्य करने के लिये किशोरावस्था में लड़के-लड़कियों को भिन्न लिंगीय व्यक्तियों के प्रति उचित दृष्टिकोण विकसित करना चाहिये। इसमें उनके संवेगात्मक विकास का बड़ा महत्व है।

इस विकास पर परिवार के वातावरण का महत्वपूर्ण प्रभाव पड़ता है— इस आयु में समूह बाल्यावस्था के समूहों की तरह संगठित नहीं होते और उनके प्रयोजन अधिकतर सामाजिक होते हैं। नाच, गाने, पिकनिक, पर्वतारोहण तथा तरह-तरह की पार्टियाँ किशोर युवक-युवतियों की महत्वपूर्ण सामाजिक क्रियायें हैं। पश्चिमी देशों में बहुधा इस तरह के समूहों में लड़के-लड़कियों की संख्या बराबर रहती है ताकि प्रत्येक को अपना जोड़ा मिल सके। कुछ लड़के-लड़कियाँ इस तरह के बड़े समूहों में भाग न लेकर अकेले ही किसी भिन्न लिंगीय व्यक्ति से संबंध स्थापित करते हैं। समूहों में रहने वाले व्यक्ति इस तरह के लोगों के प्रति अच्छा भाव नहीं रखते। किशोरावस्था में इस प्रकार के समूहों में भारी समूह भक्ति देखी जाती है और विभिन्न समूहों में संघर्ष भी होते हैं। एक समूह के सदस्यों की बातचीत के ढंग, तौर-तरीके और वस्त्र इत्यादि एक-से होते हैं और बहुधा वे साथ-साथ रहना पसंद करते हैं। किशोर व्यक्ति स्कूल के बारे में तो बात करते ही हैं साथ ही दार्शनिक, राष्ट्रीय और अंतर्राष्ट्रीय विषयों, खेलों तथा व्यवसायों आदि के बारे में भी बातें करते हैं, परंतु उन्हें सबसे अधिक आनंद भिन्न लिंगीय व्यक्तियों के बारे में बातें करने में आता है। यह दूसरी बात है कि अनेक कारणों से कुछ लोग इस विषय पर बात करना तो क्या सुनने से भी झिझकते हैं।

व्यक्तियों में जीवन के प्रति उत्साह और चाव होता है-किशोर अपने श्रृंगार और व्यवहार पर विशेष ध्यान देते हैं। इस विषय में वे दूसरों का अनुसरण करते हैं, वे हर एक बात में वयस्क स्त्री-पुरुष के समान दिखाई देने की कोशिश करते हैं। किशोर समूहों के नेता बहुधा स्वास्थ्य और शक्ति, समूह भक्ति, उत्साह, खिलाड़ीपन, कौशल, संगठन की योग्यता, मौलिकता, सहानुभूति तथा प्रारंभिक व्यक्तित्व के अन्य अनेक गुणों के आधार पर चुने जाते हैं। सामान्य रुचियों और अभिवृत्तियों के आधार पर इस आयु में व्यक्तियों में बड़ी प्रगाढ़ मैत्री बन जाती है, जो कि कभी-कभी आजीवन चलती है। इसी तरह भिन्न लिंगीय व्यक्तियों में मैत्री कभी-कभी आगे चलकर वैवाहिक संबंधों में बदल जाती है।

संघर्ष - घर के वातावरण में लड़के-लड़कियाँ बहुधा अपने माता-पिता से बराबर संघर्ष करते दिखाई देते हैं। दूसरी ओर माता-पिता उनको सदैव किसी न किसी काम से रोकते और टोकते रहते हैं। दोनों ही एक-दूसरे पर अपने विचारों को लादना चाहते हैं और दोनों को ही एक-दूसरे से शिकायत होती है। यद्यपि इस विषय में शायद वे बाहर वालों की टीका टिप्पणी सुनना पसंद न करें। इन समस्याओं के अतिरिक्त व्यक्ति के अपने व्यवस्थापन में अनेक समस्यायें हो सकती हैं जिनसे बेचैनी, निराशा और हताशा उत्पन्न होती है।

इस आयु में प्रत्येक व्यक्ति पुरुष अथवा स्त्री के रूप में अपना पूर्ण और सुंदर शारीरिक विकास चाहता है और ऐसा न होने पर बहुत परेशान रहता है— शारीरिक विकास के अलावा वह बुद्धि तथा मानसिक योग्यता का विकास चाहता है जिससे कि वह अपने साथियों में चतुर और योग्य लगे। अतः भिन्न-भिन्न व्यक्ति विभिन्न विषयों में पढ़ाई-लिखाई, संगीत, नृत्य, तरह-तरह के खेल और कलाओं आदि में पारंगत होने का प्रयास करते हैं। अनेक व्यक्ति सहानुभूति और सहयोग तथा परोपकार की प्रवृत्तियों के द्वारा अपने समूह में विशिष्ट स्थान प्राप्त करते हैं। जहाँ एक ओर समूह की प्रशंसा की नितांत उपेक्षा करना अच्छा नहीं है वहाँ हर समय दूसरों के प्रशंसा पात्र बनने की अदम्य इच्छा से भी अनेक अवगुणों का सूत्रपात होता है। इस प्रकार के लोग अनेक अनुचित उपायों से नेता या 'दादा' बनने का प्रयास करते हैं।

सामाजिक विकास में व्यक्ति की व्यावसायिक रुचियों का भी बड़ा महत्व है— कुछ समाजों में कुछ व्यवसायों का अन्य व्यवसायों से अधिक सम्मान होता है और अधिकतर किशोर व्यक्ति इन्हीं व्यवसायों को ग्रहण करना चाहते हैं। इसमें सफलता या असफलता मिलने से भी अनेक सामाजिक विकास पर महत्वपूर्ण प्रभाव पड़ता है।

प्रारंभिक वयस्कावस्था में सामाजिक विकास के प्रस्तुत विवरण से स्पष्ट है कि इस आयु में व्यक्तियों को निर्देश की विशेष रूप से आवश्यकता होती है। यौन वासना, व्यवसाय, परिवार और स्कूल में व्यवस्थापन आदि अनेक कारक किशोर व्यक्तियों के सामने ऐसी समस्यायें उपस्थित कर देते हैं जिनको वे स्वयं नहीं सुलझा सकते और जिनमें अभिभावकों और शिक्षकों का सहयोग अपेक्षित है।

...Prev | Next...

<< पिछला पृष्ठ प्रथम पृष्ठ अगला पृष्ठ >>

    अनुक्रम

  1. प्रश्न- आहार आयोजन से आप क्या समझती हैं? आहार आयोजन का महत्व बताइए।
  2. प्रश्न- आहार आयोजन करते समय ध्यान रखने योग्य बातें बताइये।
  3. प्रश्न- आहार आयोजन को प्रभावित करने वाले विभिन्न कारकों का वर्णन कीजिए।
  4. प्रश्न- एक खिलाड़ी के लिए एक दिन के पौष्टिक तत्वों की माँग बताइए व आहार आयोजन कीजिए।
  5. प्रश्न- एक दस वर्षीय बालक के पौष्टिक तत्वों की मांग बताइए व उसके स्कूल के लिए उपयुक्त टिफिन का आहार आयोजन कीजिए।
  6. प्रश्न- "आहार आयोजन करते हुए आहार में विभिन्नता का भी ध्यान रखना चाहिए। इस कथन को स्पष्ट कीजिए।
  7. प्रश्न- आहार आयोजन के सिद्धान्तों का वर्णन कीजिए।
  8. प्रश्न- दैनिक प्रस्तावित मात्राओं के अनुसार एक किशोरी को ऊर्जा की आवश्यकता होती है।
  9. प्रश्न- सन्तुलित आहार क्या है? सन्तुलित आहार आयोजित करते समय किन-किन बातों को ध्यान में रखना चाहिए?
  10. प्रश्न- आहार द्वारा कुपोषण की दशा में प्रबन्ध कैसे करेंगी?
  11. प्रश्न- वृद्धावस्था में आहार को अति संक्षेप में समझाइए।
  12. प्रश्न- आहार में मेवों का क्या महत्व है?
  13. प्रश्न- सन्तुलित आहार से आप क्या समझती हैं? इसके उद्देश्य बताइये।
  14. प्रश्न- वर्जित आहार पर टिप्पणी लिखिए।
  15. प्रश्न- शैशवावस्था में पोषण पर एक निबन्ध लिखिए।
  16. प्रश्न- शिशु के लिए स्तनपान का क्या महत्व है?
  17. प्रश्न- शिशु के सम्पूरक आहार पर एक संक्षिप्त टिप्पणी लिखिए।
  18. प्रश्न- किन परिस्थितियों में माँ को अपना दूध बच्चे को नहीं पिलाना चाहिए?
  19. प्रश्न- फार्मूला फीडिंग आयोजन पर एक लेख लिखिए।
  20. प्रश्न- 1-5 वर्ष के बालकों के शारीरिक विकास का वर्णन करते हुए उनके लिए आवश्यक पौष्टिक आहार की विवेचना कीजिए।
  21. प्रश्न- 6 से 12 वर्ष के बालकों की शारीरिक विशेषताओं का वर्णन करते हुए उनके लिए आवश्यक पौष्टिक आहार की विवेचना कीजिए।
  22. प्रश्न- विभिन्न आयु वर्गों एवं अवस्थाओं के लिए निर्धारित आहार की मात्रा की सूचियाँ बनाइए।
  23. प्रश्न- एक किशोर लड़की के लिए पोषक तत्वों की माँग बताइए।
  24. प्रश्न- एक किशोरी का एक दिन का आहार आयोजन कीजिए तथा आहार तालिका बनाइये।
  25. प्रश्न- एक सुपोषित बच्चे के लक्षण बताइए।
  26. प्रश्न- वयस्क व्यक्तियों की पोषण सम्बन्धी आवश्यकताओं का विस्तारपूर्वक वर्णन कीजिए।
  27. प्रश्न- वृद्धावस्था की प्रमुख पोषण सम्बन्धी आवश्यकताएँ कौन-कौन-सी हैं?
  28. प्रश्न- एक वृद्ध के लिए आहार योजना बनाते समय आप किन बातों को ध्यान में रखेंगी?
  29. प्रश्न- वृद्धों के लिए कौन से आहार सम्बन्धी परिवर्तन करने की आवश्यकता होती है? वृद्धावस्था के लिए एक सन्तुलित आहार तालिका बनाइए।
  30. प्रश्न- गर्भावस्था में कौन-कौन से पौष्टिक तत्व आवश्यक होते हैं? समझाइए।
  31. प्रश्न- स्तनपान कराने वाली महिला के आहार में कौन से पौष्टिक तत्वों को विशेष रूप से सम्मिलित करना चाहिए।
  32. प्रश्न- एक गर्भवती स्त्री के लिए एक दिन का आहार आयोजन करते समय आप किन किन बातों का ध्यान रखेंगी?
  33. प्रश्न- एक धात्री स्त्री का आहार आयोजन करते समय ध्यान रखने योग्य बातें बताइये।
  34. प्रश्न- मध्य बाल्यावस्था क्या है? इसकी विशेषतायें बताइये।
  35. प्रश्न- मध्य बाल्यावस्था का क्या अर्थ है? मध्यावस्था में होने वाले शारीरिक परिवर्तनों का वर्णन कीजिए।
  36. प्रश्न- शारीरिक विकास का क्या तात्पर्य है? शारीरिक विकास को प्रभावित करने वाले करकों को समझाइये।
  37. प्रश्न- क्रियात्मक विकास का क्या अर्थ है? क्रियात्मक विकास को परिभाषित कीजिए एवं मध्य बाल्यावस्था में होने वाले क्रियात्मक विकास को समझाइये।
  38. प्रश्न- क्रियात्मक कौशलों के विकास का वर्णन करते हुए शारीरिक कौशलों के विभिन्न प्रकारों का वर्णन कीजिए।
  39. प्रश्न- सामाजिक विकास से आप क्या समझते हैं? सामाजिक विकास के लिए किन मानदण्डों की आवश्यकता होती है? सामाजिक विकास की विभिन्न अवस्थाओं का वर्णन कीजिए।
  40. प्रश्न- समाजीकरण को परिभाषित कीजिए।
  41. प्रश्न- सामाजिक विकास को प्रभावित करने वाले तत्वों की विस्तारपूर्वक चर्चा कीजिए।
  42. प्रश्न- बालक के सामाजिक विकास के निर्धारकों का वर्णन कीजिए।
  43. प्रश्न- समाजीकरण से आप क्या समझती हैं? इसकी प्रक्रियाओं की व्याख्या कीजिए।
  44. प्रश्न- सामाजिक विकास से क्या तात्पर्य है? इनकी विशेषताओं का विस्तारपूर्वक वर्णन कीजिए।
  45. प्रश्न- उत्तर बाल्यावस्था में सामाजिक विकास का क्या तात्पर्य है? उत्तर बाल्यावस्था की सामाजिक विकास की विशेषताओं का वर्णन कीजिए।
  46. प्रश्न- संवेग का क्या अर्थ है? उत्तर बाल्यावस्था में संवेगात्मक विकास का वर्णन कीजिए।
  47. प्रश्न- संवेगात्मक विकास की विशेषताएँ लिखिए एवं बालकों के संवेगों का क्या महत्व है?
  48. प्रश्न- बालकों के संवेग कितने प्रकार के होते हैं? बालक तथा प्रौढों के संवेगों में अन्तर बताइये।
  49. प्रश्न- संवेगात्मक विकास को प्रभावित करने वाले कारकों का वर्णन कीजिए।
  50. प्रश्न- बच्चों के भय के क्या कारण हैं? भय के निवारण एवं नियन्त्रण के उपाय लिखिए।
  51. प्रश्न- संज्ञान का अर्थ एवं परिभाषा लिखिए। संज्ञान के तत्व एवं संज्ञान की विभिन्न अवस्थाओं का वर्णन कीजिए।
  52. प्रश्न- संज्ञानात्मक विकास से क्या तात्पर्य है? इसे प्रभावित करने वाले कारकों का वर्णन कीजिए।
  53. प्रश्न- भाषा से आप क्या समझते हैं? वाणी एवं भाषा का क्या सम्बन्ध है? मानव जीवन के लिए भाषा का क्या महत्व है?
  54. प्रश्न- भाषा- विकास की विभिन्न अवस्थाओं का विस्तार से वर्णन कीजिए।
  55. प्रश्न- भाषा-विकास से आप क्या समझती? भाषा-विकास पर प्रभाव डालने वाले कारक लिखिए।
  56. प्रश्न- बच्चों में पाये जाने वाले भाषा सम्बन्धी दोष तथा उन्हें दूर करने के उपाय बताइए।
  57. प्रश्न- भाषा से आप क्या समझती हैं? भाषा के मापदण्ड की चर्चा कीजिए।
  58. प्रश्न- भाषा से आप क्या समझती हैं? बालक के भाषा विकास के प्रमुख स्तरों की व्याख्या कीजिए।
  59. प्रश्न- भाषा के दोष के प्रकारों, कारणों एवं दूर करने के उपाय लिखिए।
  60. प्रश्न- मध्य बाल्यावस्था में भाषा विकास का वर्णन कीजिए।
  61. प्रश्न- सामाजिक बुद्धि का आशय स्पष्ट कीजिए।
  62. प्रश्न- 'सामाजीकरण की प्राथमिक प्रक्रियाएँ' पर टिप्पणी लिखिए।
  63. प्रश्न- बच्चों में भय पर टिप्पणी कीजिए।
  64. प्रश्न- बाह्य शारीरिक परिवर्तन, संवेगात्मक अवस्थाओं को समझाइए।
  65. प्रश्न- संवेगात्मक अवस्था में होने वाले परिवर्तन क्या हैं?
  66. प्रश्न- संवेगों को नियन्त्रित करने की विधियाँ बताइए।
  67. प्रश्न- क्रोध एवं ईर्ष्या में अन्तर बताइये।
  68. प्रश्न- बालकों में धनात्मक तथा ऋणात्मक संवेग पर टिप्पणी लिखिए।
  69. प्रश्न- भाषा विकास के अधिगम विकास का वर्णन कीजिए।
  70. प्रश्न- भाषा विकास के मनोभाषिक सिद्धान्त का वर्णन कीजिए।
  71. प्रश्न- बालक के हकलाने के कारणों को बताएँ।
  72. प्रश्न- भाषा विकास के निर्धारकों का वर्णन कीजिए।
  73. प्रश्न- भाषा दोष पर टिप्पणी लिखिए।
  74. प्रश्न- भाषा विकास के महत्व को समझाइये।
  75. प्रश्न- वयः सन्धि का क्या अर्थ है? वयः सन्धि अवस्था में होने वाले शारीरिक परिवर्तनों का वर्णन कीजिए।
  76. प्रश्न- निम्नलिखित पर टिप्पणी लिखिए - (a) वयःसन्धि में लड़के लड़कियों में यौन सम्बन्धी परिपक्वता (b) वयःसन्धि में लैंगिक क्रिया-कलाप (e) वयःसन्धि में नशीले पदार्थों का उपयोग एवं दुरूपयोग (d) वय: सन्धि में आहार सम्बन्धी आवश्यकताएँ।
  77. प्रश्न- यौन संचारित रोग किसे कहते हैं? भारत के प्रमुख यौन संचारित रोग कौन-कौन से हैं? वर्णन कीजिए।
  78. प्रश्न- एच. आई. वी. वायरस क्या है? इससे होने वाला रोग, कारण, लक्षण एवं बचाव बताइये।
  79. प्रश्न- ड्रग और एल्कोहल एब्यूज डिसआर्डर क्या है? विस्तार से समझाइये।
  80. प्रश्न- किशोर गर्भावस्था क्या है? किशोर गर्भावस्था के कारण, लक्षण, किशोर गर्भावस्था से बचने के उपाय बताइये।
  81. प्रश्न- युवाओं में नशीले पदार्थ के सेवन की समस्या क्यों बढ़ रही है? इस आदत को कैसे रोका जा सकता है?
  82. प्रश्न- किशोरावस्था में संज्ञानात्मक विकास, भाषा विकास एवं नैतिक विकास का वर्णन कीजिए।
  83. प्रश्न- सृजनात्मकता का क्या अर्थ है? सृजनात्मकता की परिभाषा लिखिए। किशोरावस्था में सृजनात्मक विकास कैसे होता है? समझाइये।
  84. प्रश्न- किशोरावस्था की परिभाषा देते हुये उसकी अवस्थाएँ लिखिए।
  85. प्रश्न- किशोरावस्था की विशेषताओं को विस्तार से समझाइये।
  86. प्रश्न- किशोरावस्था में यौन शिक्षा पर एक निबन्ध लिखिये।
  87. प्रश्न- किशोरावस्था की प्रमुख समस्याओं पर प्रकाश डालिये।
  88. प्रश्न- किशोरावस्था क्या है? किशोरावस्था में विकास के लक्षण स्पष्ट कीजिए।
  89. प्रश्न- किशोरावस्था को तनाव या तूफान की अवस्था क्यों कहा गया है?
  90. प्रश्न- प्रारम्भिक वयस्कावस्था में 'आत्म प्रेम' (Auto Emoticism ) को स्पष्ट कीजिए।
  91. प्रश्न- किशोरावस्था से क्या आशय है?
  92. प्रश्न- किशोरावस्था में परिवर्तन से सम्बन्धित सिद्धान्त कौन से हैं?
  93. प्रश्न- किशोरावस्था की प्रमुख सामाजिक समस्याएँ लिखिए।
  94. प्रश्न- आत्म की मुख्य विशेषताएँ लिखिए।
  95. प्रश्न- शारीरिक छवि की परिभाषा लिखिए।
  96. प्रश्न- प्राथमिक सेक्स की विशेषताएँ लिखिए।
  97. प्रश्न- किशोरावस्था के बौद्धिक विकास पर संक्षिप्त टिप्पणी लिखिए।
  98. प्रश्न- सृजनात्मकता और बुद्धि में क्या सम्बन्ध है?
  99. प्रश्न- प्रौढ़ावस्था से आप क्या समझते हैं? प्रौढ़ावस्था में विकासात्मक कार्यों का वर्णन कीजिए।
  100. प्रश्न- प्रारंभिक वयस्कावस्था के मानसिक लक्षणों पर प्रकाश डालिये।
  101. प्रश्न- वैवाहिक समायोजन से क्या तात्पर्य है? विवाह के पश्चात् स्त्री एवं पुरुष को कौन-कौन से मुख्य समायोजन करने पड़ते हैं?
  102. प्रश्न- प्रारंभिक वयस्कतावस्था में सामाजिक विकास की विवेचना कीजिए।
  103. प्रश्न- उत्तर व्यस्कावस्था में कौन-कौन से परिवर्तन होते हैं तथा इन परिवर्तनों के परिणामस्वरूप कौन-कौन सी रुकावटें आती हैं?
  104. प्रश्न- वृद्धावस्था से क्या आशय है? संक्षेप में लिखिए।
  105. प्रश्न- वृद्धावस्था में संज्ञानात्मक सामर्थ्य एवं बौद्धिक पक्ष पर प्रकाश डालिए।
  106. प्रश्न- पूर्व प्रौढ़ावस्था की प्रमुख विशेषताओं के बारे में लिखिये।
  107. प्रश्न- युवा प्रौढ़ावस्था शब्द को परिभाषित कीजिए। माता-पिता के रूप में युवा प्रौढ़ों के उत्तरदायित्वों का वर्णन कीजिए।
  108. प्रश्न- वृद्धावस्था में रचनात्मक समायोजन पर टिप्पणी लिखिए?
  109. प्रश्न- उत्तर वयस्कावस्था (50-60 वर्ष) में हृदय रोग की समस्याओं का विवेचन कीजिए।
  110. प्रश्न- वृद्धावस्था में समायोजन को प्रभावित करने वाले कारकों को विस्तार से समझाइए।
  111. प्रश्न- उत्तर-वयस्कावस्था में स्वास्थ्य पर टिप्पणी लिखिए।

अन्य पुस्तकें

लोगों की राय

No reviews for this book